
Relationship : परवरिश या जिद?,क्यों नहीं सुनते बच्चे मां-बाप की बात?
Relationship : आजकल के समय में हर मां-बाप को अपने बच्चों से यह शिकायत रहती है कि उनके बच्चे उनकी बात नहीं सुनते हैं, और समय के साथ जिद्दी होते जा रहे हैं। अगर मां-बाप अपने बच्चों को थोड़ा सा भी दांतों लगते हैं यो पर चिल्लाने लगते हैं, तुम बच्ची उन्हें उल्टा जवाब दे देते हैं। कई बार मां बाप यह सोचते हैं कि उनके बच्चों में ज़िद्दीपन बढ़ता जा रहा है और वह अपने बच्चों को नहीं समझते। पर सवाल यह है कि क्या इसमें सिर्फ बच्चों की गलती है या मां-बाप की परवरिश में कमी?
क्यों नहीं सुनते आजकल के बच्चे अपने मां बाप की बात?
जैसे-जैसे बच्चों की उम्र बढ़ने लगती है, वैसे वैसे वह अपनी एक अलग सोच बनने लगते हैं। अब अलग सोच होगी तो बच्चे अलग से अपनी पहचान और स्वतंत्रता से जीने की कल्पना करते हैं, कई बार उनकी एक कल्पना और फैसला सही नहीं रहता, ऐसे में मां-बाप उन्हें प्यार से समझने के बजाय उन पर गुस्सा करने लगते हैं जिसके कारण बच्चों में और ज्यादा जिद आ जाती है, और वह वही करते हैं जो उनका मन करता है पर मां-बाप की बातों को इग्नोर करते हैं।
कई बार ऐसा होता है कि बच्चे अपने मां-बाप के फैसले से खुश नहीं रहते और उनको अपनी लाइफ में अपनाना नहीं चाहते, लेकिन वह अपने दोस्तों से प्रभावित होते हैं और उनकी बातों को ज्यादा महत्व बता देते हैं। अब सवाल यह है कि क्यों बच्चे मां-बाप के बजाय अपने दोस्तों की बातों पर ज्यादा गौर फरमाते हैं?
इसके अन्य कारण हो सकते हैं जैसे-
- दोस्त बच्चों की बातों को अनसुना नहीं करते। वह उनकी पूरी बात सुनते हैं और उनकी बातों को महत्व बता देते हैं।
- बच्चे अपने दोस्तों को बेफिक्र होकर अपनी कोई भी बात बता सकते हैं, लेकिन अगर वह वही बात अपने मां बाप को बताएं तो वह शायद उन पर गुस्सा करें।
- दोस्त हर सिचुएशन में साथ देते हैं और समझते हैं, वहीं दूसरी ओर मां-बाप बच्चों पर ही पूरा ब्लेम डालते हैं और सिचुएशन को समझते नहीं है।
- एज गैप की वजह से भी दोस्तों और पेरेंट्स के बीच काफी अंतर आ जाता है। बच्चे अपने उम्र के बच्चों की सलाह इसलिए लेते हैं क्योंकि उनकी सोच मॉडर्न और उनके जैसी होती है, वहीं दूसरी और पेरेंट्स की सोच थोड़ी पुरानी हो सकती है जो बच्चों को पसंद ना आती है।
- बच्चे अपने दोस्तों से सारी बात शेयर कर सकते हैं। क्योंकि उनको पता है कि उनकी दोस्त उनको जज नहीं करेंगे ना मारेंगे और ना ही डटेंगे। जबकि पेरेंट्स को बात कर बच्चों को मार और दांत दोनों पढ़ने की संभावना है।
बच्चे क्या साथ चाहते हैं?
बच्चे हमेशा यह साथ चाहते हैं की मां-बाप उनकी बातों पर ध्यान दें और उनकी भावनाओं को समझे। अगर बच्चा कोई गलती कर देता है तो मां बाप को उसे गलती को सुधारने का मौका देना चाहिए और बड़े प्यार से सिचुएशन को हैंडल करना चाहिए। अगर आप उसे सिचुएशन में अपने बच्चों को डांटना या करने लगते हैं तो ऐसा होना संभव है कि अगली बार से आपका बच्चा की हुई गलती को आपसे छुपाए और कोई बात शेयर ना करें।
पेरेंट्स अपनी बातों पर खुद ही अमल नहीं करते हैं जिस कारण बच्चों पर भी इसका असर पड़ता है।
अगर बच्चों को अपने मां-बाप से प्यार नहीं मिलता तो वह उनकी बातों को अनसुना करने लगते हैं।
पेरेंट्स को क्या नहीं करना चाहिए?
- बच्चों को समझने की कोशिश: अगर आप अपने बच्चों को समझने की कोशिश करते हैं तो इससे आपकी और आपके बच्चों के लिए हर सिचुएशन में चीज आसान रहेगी। अगर आप बच्चों को समझते हैं तो इससे उनकी मेंटल हेल्थ अच्छी बनी रहती है, और इमोशनली और फिजिकल उनकी ग्रोथ अच्छी होने लगती है।
- खराब परवरिश करने से बचे: खराब परवरिश की वजह से बच्चों को कई नुकसान झेलने पड़ते हैं। खराब परवरिश के कारण आपके बच्चे का आने वाला कल खराब हो सकता है। खराब परवरिश के कारण आपके बच्चों की आदतें हमेशा खराब रहेगी और वह कभी नियमों और सीमाओं का सम्मान नहीं कर पाएंगे।
- बच्चों से खराब व्यवहार ना करें: अगर आप अपने बच्चों से खराब व्यवहार में बात करते हैं जैसे की, अगर आप अपने बच्चों को ज्यादा डांटे हैं या ऊंची आवाज में बात करते हैं तुम बच्चे और भी ज्यादा जिद्दी होने लगते हैं।
- स्वतंत्र रहने दे: अगर आप बच्चों पर अनचाही पाबंदी लगाएंगे तो वह उनके विकास के लिए बहुत हानिकारक है। आजकल के समय में बच्चे हमेशा स्वतंत्रता तलाशते हैं। बच्चे अपनी जिंदगी के सारे निर्णय खुद लेना चाहते हैं, ऐसे में आप अपने बच्चों के निर्णय का हमेशा सम्मान करें। हालांकि यह जरूरी है की निर्णय सही है या नहीं इस चीज की नसीहत जरूर दें।
- बच्चों को इग्नोर ना करें: अगर आप अपने बच्चों को इग्नोर करने लगते हैं तो इससे आपका बच्चा अकेला महसूस करता है और वह खुद की काबिलियत पर शक करने लगता है। अगर आप अपने बच्चों को इग्नोर ना कर उन पर हमेशा ध्यान रखें तो आपके बच्चों के विचारों और भावनाओं में ग्रोथ आएगी। अगर आप अपने बच्चों की बातें सुनते हैं, तब वह भी आपकी बातों का सम्मान करेंगे।
- धमकी और चेतावनी न दें: जब मां बाप अपने बच्चों को अक्सर धाम किया और चेतावनी देने लगते हैं तो इससे दो चीज होती हैं, या तो आपका बच्चा जरूर से ज्यादा हर चीज से डरने लगे, या वह डिलीट हो जाए और हर चीजों को सम्मान ना दे। चेतावनी देने के बजाय आपको अपने बच्चों को एक सही उदाहरण के साथ चीज समझनी चाहिए।
- अपनी बातों को समझाना सीखे: हमेशा बच्चों के साथ शांति से और धैर्य से बात करें। अगर आप अपने बच्चों पर चिल्लाते हैं धमकी देते हैं तो वह आपको पसंद नहीं करते, वहीं अगर आप अपने बच्चों के प्यार का सम्मान करें और उनकी बातों को सुने तो वह आपको समझने की भी पूरी कोशिश करेंगे।
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